गायों को केले के पत्ते खिलाना

केले के पत्तों का उपयोग 

एक डेयरी किसान ने मुझे डेयरी गायों को केले के पत्ते खिलाने के मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए कहा है। केले का बागान कई क्षेत्रों में काफी आम है और किसानों के लिए इसके विभिन्न भाग, जैसे कि इसके तने और पत्तियों का उपयोग पशु आहार के रूप में करना एक आम बात है।

एक सामान्य सिद्धांत के रूप में केले के पत्तों को केवल तभी खिलाया जाना चाहिए जब अन्य आहार उपलब्ध नहीं हों क्योंकि उच्च टैनिन के कारण पशु इसका स्वैच्छिक सेवन बहुत कम करते है। प्रकाशित पत्रों से पता चलता है कि देसी गायों के वजन में 500 किलोग्राम के वजनी पशु को सूखे चारे के आधार पर 3.5-3.8 किलोग्राम से अधिक केले के पत्तों को नहीं खिलाना चाहिए। यह अलग बात है कि अगर गाय को खिलाने के लिए अन्य आहार उपलब्ध नहीं हों तो उस स्थिति में केले के पत्तों का सेवन अधिक हो सकता है। केले के तने की पाचन क्षमता (सूखे के आधार पर 75 प्रतिशत) पत्तियों (60-65 प्रतिशत) की तुलना में अधिक होती है, इसलिए यदि संभव हो तो, पत्तियों और तने को काटकर खिलाया चाहिए। केले के पत्तों में सूखे की मात्रा 94 प्रतिशत, क्रूड प्रोटीन 14.6 प्रतिशत, क्रूड फाइबर 7.5 प्रतिशत, एनडीएफ 55.5 प्रतिशत, एडीएफ 40.0 प्रतिशत, लिग्निन 7.7 प्रतिशत होती है।

हालांकि केले के पत्तों में सकल ऊर्जा 19.7 प्रतिशत है, परंतु उपापचय ऊर्जा काफी कम होती है। ब्राजील और अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों में, केले के पत्ते और तने को साइलेज के रूप में संरक्षित किया जाता है। केले के पत्तों में घुलनशील कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है इसलिए सही पीएच (3.5-3.8) प्राप्त करने के लिए गुड़़ (6-7 प्रतिशत) जैसे स्रोतों को मिलानेे की आवश्यकता होती है। केले के पत्तों को खिलाने या साइलेज बनाने के दौरान यह सिफारिश की जाती है कि यूरिया (नाइट्रोजन स्रोत के रूप में) को आहार में मिलाना चाहिए।

केले के पत्तों का उपयोग पशु आहार के रूप में मेरी सिफारिशें होंगीः

  • केले के पत्तों और तने को काटकर दूध न देने वाले जानवरों, हीफरों को खिलाया जा सकता है, लेकिन दूध देने वाली गायों को नहीं खिलाना चाहिए।
  • चारे की कमी के कारण केले के पत्तों और तने को खिलाना आवश्यक है, तो कुल सूखे चारे के आधार पर केले के पत्ते को 15 प्रतिशत से अधिक नहीं खिलाना चाहिए।
  • जब केले की पर्याप्त पत्तियां और तना (केले की कटाई के बाद) उपलब्ध हो तो इन्हें साइलेज के रूप में संरक्षित किया जा सकता है।
  • ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केले के पत्तों और तने और ऊर्जा स्रोतों को खिलाते समय हमेशा यूरिया का उपयोग करें।
  • केले के पत्तों और तने को खिलाते समय हमेशा यूरिया और ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा के स्रोत का उपयोग करना चाहिए।

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बोवाइन कोलोस्ट्रम


लेखक

डॉ. अब्दुल समद
पूर्व- डीन, बॉम्बे वेटरनरी कॉलेज
पूर्व- डीन और निर्देशों के निदेशक महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय

अनुवादक

डाॅ. राजेश कुमार
स्नातकोतर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान
पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर