राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत दुधारू नस्ल की गायों के लिए ब्राजील से आएंगे गिर के सांड
नई दिल्ली, जेएनएन: दुधारू नस्ल की गाय पैदा करने के लिए महाराष्ट्र के पशु संवर्धन एवं डेयरी विकास विभाग ने ब्राजील से गीर नस्ल के सांड और फ्रोजन सीमेन (शुक्राणु) आयात करने का फैसला किया है। इसके लिए प्रदेश सरकार जल्द ही ई-ग्लोबल टेंडर जारी करेगी। चूंकि यह पूरी परियोजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत अंजाम दी जा रही है, इसलिए सांड और सीमेन के आपूर्तिकर्ता का चयन होने के बाद राज्य सरकार को आयात के लिए केंद्र से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए सांड की आवश्यक टेस्ट रिपोर्ट केंद्र को उपलब्ध करानी होगी।
फ्रोजन भ्रूण लाना ज्यादा फायदेमंद:
मुंबई वेटरेनरी कालेज के पूर्व डीन और पशु विशेषज्ञ डॉ. अब्दुल समद का मानना है कि विदेशों से सांड या सीमेन (शुक्राणु) लाने के बजाय अच्छी नस्ल के फ्रोजेन भ्रूण लाए जाने चाहिए। ये भ्रूण भारत में किसी अच्छी नस्ल की स्वस्थ गाय में रोपित करके अच्छी नस्ल के बछड़े पाए जा सकते हैं। इन बछड़ों का मेल तीन वर्ष बाद पहले से चयनित गायों से कराकर अच्छी नस्ल की दुधारू गाय पाई जा सकती हैं। हालांकि इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकारों को मिलकर एक योजना तैयार करनी होगी। जिसके तहत इस पद्धति से मिली गायों का रिकार्ड रखा जाए और उनके खान-पान की उचित व्यवस्था की जाए। तभी इन गायों से अधिक मात्र में दूध लिया जा सकता है।
जूनागढ़ के नवाब ने ब्राजील को भेंट स्वरूप दी थीं कुछ गीर गाय:
डॉ. अब्दुल समद के अनुसार गीर नस्ल की दुधारू गाय गुजरात के गीर क्षेत्र में पाई जाती हैं। मौसम की दृष्टि से इन्हें भारत के किसी भी भाग में रखा जा सकता है। ब्राजील का मौसम भी करीब-करीब भारत जैसा ही होता है। करीब 200 वर्ष पहले जूनागढ़ के नवाब ने ब्राजील को कुछ गीर गाय भेंट स्वरूप दी थीं। उसके बाद से 1920 तक गीर गायों के कई बैच ब्राजील जाते रहे। ब्राजील ने भारत से गईं गायों के साथ कई प्रयोग किए और उनकी दूध देने की क्षमता बढ़ाई।
अच्छी नस्ल की गायों से होगा मेल: सांड को लाने के बाद पुणो, नागपुर और औरंगाबाद स्थित सरकारी फार्म हाउस में रखकर अच्छी नस्ल की गायों से इनका मेल कराया जाएगा।
निजी डेयरियों को भी अनुमति: महाराष्ट्र सरकार निजी डेयरियों को भी इस प्रकार के सांड, सीमेन या भ्रूण आयात की अनुमति देने को तैयार है।
महाराष्ट्र के पशु संवर्धन और डेयरी विकास मंत्री धनंजय परकाले ने बताया कि महाराष्ट्र में 2013 से ही राज्य भर के किसानों एवं सरकारी व निजी फार्मो में अच्छी नस्ल की गायों का रिकार्ड रखा जा रहा है। जिसका उपयोग अब इन सांड से मेल कराने में किया जाएगा। पूर्व में भी इस तरह की प्रक्रिया के अच्छे परिणाम मिले हैं।
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स्त्रोत: जागरण, २३ जून २०२१