20 दिन पुराने गाय के बछड़े में लम्पी त्वचा रोग की घटना
20 दिन के खिल्लर नर बछड़े में गांठदार लम्पी त्वचा रोग (Lumpy skin disease) की घटना देखी गई। बछड़े में बुखार, लार आना, नाक और आंखों से स्राव, पूरे शरीर पर गांठदार, कठोर और दर्दनाक सूजन के लक्षण दिखाई दिए और त्वचा पर कुछ अल्सरेटिव घाव भी देखे गए। लम्पी त्वचा रोग मवेशियों में एक वायरल रोग है। यह भेड़ और बकरियों के चेचक वायरस से निकटता से रखता है। रोग मेजबान-विशिष्ट है और लंबे समय तक रुग्णता का कारण बनता है। आम तौर पर, छोटे जानवर अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं। यह रोग गर्म और आर्द्र जलवायु में होता है। वायरस शुष्क पपड़ी में 35 दिनों तक और हवा में सूखी खाल में 18 दिनों तक जीवित रह सकता है।
यह रोग शुरू में अफ्रीका में हुआ था, आगे यह मध्य पूर्व, एशिया, पूर्वी यूरोप, चीन और भारत में फैल गया। भारत में यह बीमारी पहली बार साल 2019 में सामने आई थी।
लम्पी त्वचा रोग का कारण: लम्पी त्वचा रोग केपरी पाॅक्स वायरस से होता है।
रोग का प्रसार: जानवरों में लम्पी त्वचा रोग मच्छरों और मक्खियों के काटने से फैलता है। वायरस त्वचा के घावों, लार, नाक से स्राव, दूध और संक्रमित जानवरों के वीर्य के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है।
नैदानिक लक्षण: बुखार, लार, आंखों और नाक से स्रवण, वजन घटना, दूध उत्पादन में गिरावट, पूरे शरीर पर कुछ या कई कठोर और दर्दनाक नोड्यूल दिखाई देते हैं। त्वचा के घाव कई दिनों या महीनों तक बने रह सकते हैं। क्षेत्रीय लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं और कभी-कभी एडिमा उदर और ब्रिस्केट क्षेत्रों के आसपास विकसित हो सकती है। कुछ मामलों में यह नर और मादा में लंगड़ापन, निमोनिया, गर्भपात और बाँझपन का कारण बन सकता है।
जैव रसायन: सफेद रक्त कणिकाएं और प्लेटलेट्स में कमी, एरिथ्रोसाइटोसिस, प्रोटीन और ग्लोब्युलिन स्तर में वृद्धि, एल्ब्यूमिन और ग्लूकोज स्तर में कमी आदि।
प्रयोगशाला परीक्षण के लिए आवश्यक नमूना: त्वचा के घावों से रक्त और ऊतक के नमूने।
निदान के लिए प्रयोगशाला परीक्षण: एंटीबॉडी का पता लगाने का परीक्षण, वायरस न्यूट्रलाइजेशन परीक्षण, एलिसा, पीसीआर और आरटीपीसीआर तकनीक।
निदान: विशिष्ट लक्षणों के आधार पर निदान करना मुश्किल नहीं है। इसे गाय चेचक से अलग करने की जरूरत है, जिसके घाव गैर-बालों वाले हिस्सों थन और अङर तक ही सीमित हैं। प्रयोगशाला द्वारा आसानी से बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
लम्पी त्वचा रोग का उपचार:
चूंकि यह वायरल संक्रमण है, इसलिए इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन द्वितीयक जीवाणु संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती हैं। त्वचा के घावों को 2 प्रतिशत सोडियम हाइड्रॉक्साइड, 4 प्रतिशत सोडियम कार्बोनेट और 2 प्रतिशत फॉर्मेलिन द्वारा एंटीसेप्टिक समाधान के साथ इलाज किया जा सकता है। एस्कॉर्बिक एसिड 10 प्रतिशत को सर्वश्रेष्ठ के रूप में रेट किया गया है लेकिन समस्या यह है कि जलीय एस्कॉर्बिक एसिड स्थिर नहीं है इसलिए ताजा तैयार किया जाना चाहिए।
रोकथाम और नियंत्रण: प्रबंधन में सुधार।
- फार्म और परिसर में सख्त जैव सुरक्षा उपायों को अपनाएं।
- नए जानवरों को अलग रखा जाना चाहिए और त्वचा की गांठों और घावों की जांच की जानी चाहिए।
- प्रभावित क्षेत्र से जानवरों की आवाजाही से बचें।
- प्रभावित जानवर को चारा, पानी और उपचार के साथ झुंड से अलग रखा जाना चाहिए, ऐसे जानवर को चरने वाले क्षेत्र में नहीं जाने देना चाहिए।
- उचित कीटनाशकों का उपयोग करके मच्छरों और मक्खियों के काटने पर नियंत्रण। इसी तरह नियमित रूप से वेक्टर विकर्षक का उपयोग करें, जिससे वेक्टर संचरण का जोखिम कम हो जाएगा।
- फार्म के पास वेक्टर प्रजनन स्थलों को सीमित करें जिसके लिए बेहतर खाद प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
- वैक्सीन – एक फ्रीज ड्राय, लाइव एटेन्युएटेड वैक्सीन उपलब्ध है जो बीमारी को नियंत्रित करने और फैलने से रोकने में मदद करता है। निर्माताओं के निर्देशों के अनुसार शेष जानवरों का टीकाकरण करें।
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लेखक
डॉ. व्ही. एम. भुक्तर |
अनुवादक डाॅ. राजेश कुमार |