हाथ से दूध दुहने की तकनीकः इसे हाइजेनिक कैसे रखें

हाथ से दूध दुहना मशीनों की तरह हाइजीनिक हो सकता है और अडर के लिए अधिक कोमल होता है। लेकिन सावधानी बरतनी होगी। यदि हाथ से दूध दुहने की प्रक्रिया का पालन किया जाता है, तो गायें अधिक दूध देंगी। यहाँ स्वच्छ दूध दुहने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।

  • दूध दुहने वाले स्वच्छ, स्वस्थ और संक्रामक रोगों से मुक्त होने चाहिए।
  • दूध दुहते समय के गाय के अडर से गोबर और कीचड़ से साफ करें।
  • गायों को नियमित रूप से कंघी करनी चाहिए और ढीले बालों और गंदगी को हटा दें जो दूध दुहने के दौरान बर्तन में गिर सकते हैं।
  • सुनिश्चित करें कि गायों का नियमित अंतराल पर दूध दुहा जाए। यदि संभव हो तो हर 12 घंटे के अंतराल पर और एक ही व्यक्ति द्वारा दूध दुहना चाहिए। इस प्रक्रिया से गायों को दुहने से तनाव कम करने और एक सफल डेयरी ऑपरेशन में परिणाम मिलेगा।
  • डेयरी में शोर से बचें, यह दूध दुहने पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
  • मेस्टिाइटिस के लिए हमेशा निकलने वाले पहले दूध का परीक्षण करें (अपने पशु चिकित्सक से पूछें कि यह कैसे करें)।
  • गाय के पिछले पैर और पूंछ को एक साथ बांधें ताकि पूंछ चारों ओर न घूमे।
  • दूध दुहने से पहले अडर और थनों को पानी से धोएं। यदि वे साफ हैं, तो उन्हें लगभग एक मिनट के लिए मालिश करें। अडर और टीट्स को साफ करने के लिए कपड़े का उपयोग न करें, कपड़ा अनहेल्दी होता है और मेस्टिाइटिस जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • दूध दुहने से पहले अपने हाथ धो लें। हाथ नम होने चाहिए पर पानी नहीं टपकनाना चाहिए। अपने हाथों को दूध में न डुबोएं क्योंकि इससे बीमारी फैल सकती है।
  • थनों को चिकना करने के लिए गाय के दूध का उपयोग कभी न करें।
  • पांच से सात मिनट में गाय को दुह लेना चाहिए क्योंकि गाय उसके बाद दूध देना बंद कर देगी।
  • एक साफ छलनी या मलमल के कपडे के माध्यम से दूध एक कंटेनर में डाले। मलमल के कपडे को बर्तन पर मजबूती से बांधें ताकि गंदगी बर्तन में न गिरे।
  • दूध दुहने के बाद दूध को ठंडे स्थान पर रखें।
  • दूध दुहने के बाद, यदि गाय का बछड़ा दूध नहीं पीता है, तो मेस्टिाइटिस को रोकने के लिए टीट नली का उपयोग करें।
  • साल में एक बार मिल्कर का मेडिकल चेकअप किया जाना चाहिए।
  • भारत और विदेशों में अलग अलग कंपनी की मिल्किंग मशीन उपलब्ध है।

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लेखक अनुवादक
डॉ. के. आर. शिंगल
पूर्व प्रादेशिक सह आयुक्त, पशुसंवर्धन, महाराष्ट्र सरकार
डाॅ. राजेश कुमार
स्नातकोतर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान
पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर