डेयरी पशुओं को संरक्षण और आराम कैसे प्रदान करें?

पशुओं का संरक्षण

डेयरी पशु डेयरी व्यवसाय की नींव बनाते हैं। किसानो के लिए, डेयरी पशु जीविका का एक स्त्रोत हैं, जबकि उपभोक्ताओ के लिए, उनके दैनिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, इन पशुओं को स्वस्थ और उत्पादन में बनाये रखने के लिए संरक्षित करने और देखभाल करने की आवश्यकता है। उन्हें तेज धूप, न्यून और उच्च तापमान, तेज हवाओं, भारी बर्षा, बर्फ़बारी, ठंड, अत्यधिक नमी, परजीवियों और जीवाणुओं और कोई भी चीज जो उनके कार्य और स्वास्थ्य में बाधा डाल सकती है, के खिलाफ सुरक्षित किया जाना चाहिए। अनुचित आवास, अपर्याप्त पानी के स्त्रोत और वेंटिलेशन, भीड़भाड, और असुविधाजनक परिस्थितियां पशुओं के लिए हानिकारक प्रभाव पैदा करती हैं जैसे की संक्रमण के लिए संवेदनशीलता बढ़ जाती है और उत्पादकता कम हो जाती है ।

पशुओं का संरक्षण और कल्याण जैसे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फर्श, बिस्तर सामग्री और आराम करने बाले स्थान, पानी की स्थिति और फीड मेंजर, बल्क स्टॉक, और पशुओं के झुंड पर नजर रखना जैसे कारकों पर विस्तृत ध्यान दिया जाना चाहिए। पशुओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाया जाना चाहिए जो उनके स्वास्थ्य, पोषण और आराम को बढ़ावा दे। पशुओं के आराम और सुरक्षा के लिए अनुकूल कुछ अच्छी कार्यप्रणाली।

  • सभी आवास क्षेत्रों और बाड़ों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाना चाहिए जो पशुओं को अधिकतम आराम प्रदान करें और उनके स्वास्थ्य और उत्पादन को बढ़ावा दे|
  • गर्मियों के दौरान जब तापमान अधिक रहता है, कभी-कभी 48तक बढ़ जाता है, तो पशुओं को घने शेल्टर में रखा जाना चाहिए, जैसे की एक खुले पेड़ की छाव, एक खुले पैन में किनारों को हवा के आदान प्रदान के लिए छोड़ देती है।

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  • जबकि सर्दियों में जब तापमान 0से कम हो जाता है या कभी कभार उससे भी कम हो जाता है, तो एक बंद शेल्टर, जिसमे तेज हवाओं को पार करने के लिए कोई जगह न हो, उन्हें पशुओं को तूफ़ान, बारिश और बर्फ़बारी से बचाने के लिए बनाया जाना चाहिए। जीवणु संक्रमण के विकास को रोकने के लिए भूसे, रेत, लकड़ी की छीलन या सूखे खाद के ठोस पदार्थों से बने गर्म और सूखे बिस्तर को पशुओं के लिए बनाया जाना चाहिए, साथ ही उन्हें स्वस्थ और संक्रिय रखने के लिए चारे और पानी की पर्याप्त आपूर्ति होनी चाहिए। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है और वातावरण थोडा गरम हो जाता है, पशुओं को घूमने के लिए एक खुला पेडक प्रदान किया जा सकता है।
  • पशुओं को भारी बारिश या ख़राब और तूफानी मौसम के दौरान बंद पैन में रखा जाना चाहिए ताकि वो पानी में भीगे न हों और अवांछित बीमारियों को न पकड़े।
  • पशुओं को एक लम्बे समय तक रस्सी से बांधकर नहीं रखना चाहिए, उन्हें हर दिन 2 से 4 घंटे के लिए खुले छोड देना चाहिए ताकि अन्य झुंड–साथी के साथ शारीरिक गतिविधि और सम्बंध रख सके। एक खुले मैदान में शारीरिक गतिविधियों और चराई पशुओं को लम्बे समय तक स्वस्थ, संक्रिय और खुश रहने में मदद करती है।
  • पशुओं को बांधने में इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियाँ काफी लम्बी होनी चाहिए ताकि दो व्यस्क पशुओं के बीच कम से कम 4 फीट की जगह हो और साथ ही जानवर आराम से खड़े, लेट और मुड सकें।
  • मौसम की स्थिति के आधार पर बंधे हुए पशुओं को पर्याप्त, साफ पीने के पानी की आपूर्ति दिन में 3 से 6 बार या उससे अधिक की जानी चाहिए।
  • तटीय क्षेत्रों में, हवा की आवाजाही के लिए जगह छोड़ने के दौरान छत को उड़ने से रोकने के लिए आवास के शेड को प्रचलित दिशा में रखा जाना चाहिए । शुष्क, गर्म क्षेत्रों में, आवास प्राकृतिक वेंटिलेशन और सूर्य के प्रकाश का उपयोग करने के लिए स्थित होना चाहिए। तटीय क्षेत्र और स्थानों में सबसे अच्छा स्थान जहाँ औसत तापमान 30या अधिक रहता है या एक दिन में 5 घंटे से अधिक पूर्व से पश्चिम की ओर रहता है। और नम छेत्रों के लिए, पसंदीदा अभिविन्यास दक्षिण से उत्तर की ओर है।
  • शेल्टर्स और आवासों में पर्याप्त हवा की आवाजाही और प्राकृतिक प्रकाश की अनुमति होनी चाहिए धूल के कड़ों और गैस के प्रवेश को न्यूनतम स्तर पर बनाये रखा जाना चाहिए ताकि पशुओं को कोई नुकसान न हो।
  • बीमार पशुओं को, संक्रमण या बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए एक अलग बाड़े में स्वस्थ झुंड के बाकी पशुओं से दूर रखा जाना चाहिए।उन्हें सावधानीपूर्वक उपचारित किया जाना चाहिए और उन्हें पर्याप्त चारा, पानी, दवा और चिकित्सा प्रदान की जानी चाहिए।
  • शेल्टर्स या पैन को विशेष रूप से ढलान से दूर निचले इलाकों में बनाया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

यह डेयरी किसानो की पूर्ण जिम्मेदारी है की वह पशुओं के लिए एक खुशहाल माहौल बनाये और एक ऐसा आवास जोकि आरामदायक, स्वच्छ, सूखा हो, और जो उन्हें सभी मौसमों में सुरक्षा प्रदान करे। इसे एक ऐसे तरीके से बनाया जाना चाहिए जिससे पशुओं को गतिशीलता मिल सके और साथ ही किसी भी तरह की चोट या बीमारी न हो।

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अनुवादक

डॉ. निशा आरजू
एम. व्ही. एस. सी., वेटरनरी मेडिसिन