इस बार दीपावली पर जलेंगे गाय के गोबर से बने दीपक, कोरोना महामारी के बीच चायना माल के प्रति लोगों का नजरिया बदला

उदयपुर, सुभाष शर्मा। दीपावली पर हर बार चायना के दीपकों और झालरों की मांग ज्यादा रहती है लेकिन कोरोना महामारी के बीच चायना माल के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। जिसके चलते मेवाड़ में पहली बार गाय के गोबर से बने दीपकों की मांग बढ़ी है। लोग भी उत्साह के साथ गाय के गोबर से बने दीपक खरीद रहे हैं।

चित्तौड़गढ़ के निलिया महादेव मंदिर की गौशाला में पिछले एक महीने से हर दिन तीन हजार से अधिक दीपक तैयार किए जा रहे हैं और उनकी मांग बनी हुई है। इधर, उदयपुर में जयपुर तथा अन्य जिलों की गौशालाओं में गाय के गोबर से तैयार किए जा रहे दीपक मंगाए जा रहे हैं। यह दीपक मिट्टी के बने दीपक से सस्ते ही नहीं, बल्कि गमले में डालने के बाद वह खाद के रूप में उपयोग में लिए जा सकेंगे।

चित्तौड़गढ़ के निलिया महादेव मंदिर की गौशाला में गाय के गोबर के बने दीपक तैयार करने से आसपास गांव की महिलाओं को भी काम मिला है। बताया गया कि डेढ़ लाख से अधिक दीपक बना चुके हैं और बाजार में मांग बनी हुई है। यूं तो पिछले पांच-छह साल से यहां गौशाला में गाय के गोबर से बने दीपक बनाए जा रहे थे लेकिन पहली बार इतनी मांग बनी हुई है कि रोजाना जितने दीपक बनाए जा रहे हैं, उससे कहीं अधिक बाजार में मांग बनी हुई है। जिला मुख्यालय के अलावा अन्य दूसरी जगह के दीपक विक्रेता पहले ही आर्डर दे चुके हैं और आधी से अधिक खेप भेजी जा चुकी है। बाजार में मिट्टी से बने दीपक के मुकाबले इस दीपक की कीमत पांच गुनी कम होगी। बाजार में डेढ़ रुपये में मिट्टी का दीपक मिल रहा है, जबकि यह 25 से 30 पैसे का एक पड़ेगा। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर निंजा स्थित निलिया महादेव मंदिर की समिति महिला स्वयं सहायता समूह की सहायता से दीपक बनाने में जुटी है। इससे ना केवल महिलाओं को रोजगार मिला है, बल्कि गौ संवर्दध्न का उद्देश्य पूरा हो रहा है। इससे होने वाली आय महिला स्वयं सहायता समूह को मिलेगी। गौशाला में गाय के गोबर का दैनिक जीवन में उपयोग को लेकर प्रयोग जारी हैं। गौशाला संचालक दीपक पालीवाल बताते हैं कि गोबर से धूप भी बनाई जा रही है। इसकी प्रेरणा उन्हें पंडित विष्णुदत्त शर्मा से मिली और दीपक बनाने का काम शुरू किया गया। अनुमान से अधिक आर्डर मिलने पर स्वयंसेवी महिला संगठनों को जोड़कर दीपक बनवाए जा रहे हैं। जिले ही संभाग में पहुंचाने के लिए काम जारी है। उन्होंने बताया कि पंडित शर्मा से चित्तौड़गढ़ में ही नहीं, बल्कि प्रदेश की अन्य गौशालाओं को गाय के गोबर से बने उत्पाद बनाने के लिए जोड़ा है, जिसमें इन दिनों दीपक निर्माण जारी है।

 


स्रोत: जागरण, ४ नवंबर २०२०.