पशु आहार के लिये अजोला उत्पादन तकनीक
अजोला क्या है ?
दुग्ध, मांस एवं अन्य पशु उत्पादों के कुल उत्पादन मूल्य का 50-75 प्रतिषत मुख्य रूप से आहार एवं चारों पर खर्च होता है। तत्काल परिस्थितियों में चारागाह वाली भूमियों का निरंतर विघटन होता जा रहा है और उनका आकार जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण एवं कारखानों के कारण कम होता जा रहा है। अच्छे चारे की पूर्ति एक वृहद एवं चुनौती पूर्ण कार्य है। भारत में चारा उत्पादन वाली भूमि का क्षेत्रफल बढ़ाना आहार एवं व्यवसायिक फसलों की मांग में वृद्धि के कारण संभव नहीं है। इस कारण यह बहुत आवष्यक है कि कुछ आहार स्रोतों की खोज की जाये और उन्हें अपनाया जाये जिनसे पषु आहार की कमी को दूर किया जा सके। अजोला, जो एक स्वतंत्र रूप से पानी पर तैरने वाला फर्न है इस परिस्थिति को नियंत्रण करने में सक्षम प्रतीत होता है।यह वातावरण की नाइट्रोजन को नील हरित षैवाल के सहयोग से स्थिर करता है जिससे पषुओं के लिये प्रोटीन का उत्तम साधन निर्मित होता है। यह एजोलेसी कुल तथा टेरीडोफांइटा (Pteridophyta) संघ से सम्बन्धित है। यह पौधा अत्यधिक उत्पादक होता है और अपने वजन के बराबर 7 दिन में वृद्धि कर लेता है। इसके द्वारा 9 टन प्रोटीन का उत्पादन एक हैक्टर तालाब में प्रतिवर्श किया जा सकता है। इसे पषु आहार में प्रोेटीन और खनिज लवण के स्रोत के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
अजोला का पोशक संगठन
अजोला में पोशक तत्वों के रूप में कार्बोनिक पदार्थ 78-80 प्रतिषत, प्रोटीन 17-22 प्रतिषत, वसा 2-3 तथा रेषा 12-15 प्रतिषत तक पाया जाता है। शुश्क पदार्थ के धार पर अजोला में एन डी एफ तथा ए डी एफ क्रमषः 45-47 तथा 30-33 प्रतिषत पाया गया। सोडियम, पोटेषियम तथा कैल्षियम क्रमशः 0.60, 0.73, 0.11 प्रतिषत था जबकि काॅपर व जिंक क्रमशः 16.12 व 71.47 पी पी एम (लगभग) तक पाया गया है जिससे प्रकट होता है कि अजोला सूक्ष्म एवं वृहद लवणों का अच्छा स्रोत है। विट्रो शुश्क पदार्थ (vitro dry matter digestibility) पाचकता 78-80 प्रतिषत तथा जैबिक पदार्थ पाचकता 80-83 प्रतिषत पाई गई अतः इसे पशु आहार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
उत्पादन विधि (Azolla Production)
अजोला का उत्पादन किसानों द्वारा छोटे स्तर पआर तथा व्यवसायिक स्तर पर भी आसानी से किया जा सकता है। इसे नर्सरी में, तालाबों, नहर, पक्के टैंकों तथा गड्डों में पोलीथिन शीट लगाकर आवश्यकता एवं उपलब्धता के अनुसार उत्पादन किया जा सकता है। अजोला का उत्पादन छायादार जगह जैसे पेड़ों की छाव में किया जा सकता है। सीधी धूप वाले स्थान पर इसका उत्पादन नहीं करना चाहिये। छोटे स्तर पर अजोला उत्पादन एक गड्डे को पौलीथिन शीट से ढककर किया जा सकता है।
अजोला का उत्पादन निम्नलिखित क्रियाओं के द्वारा प्राप्त किया जा सकता हैः-
- एक 8 × 4 × 3 फीट का गढ्डा तैयार करना चाहिए जिसे आवश्यकतानुसार घटाया बढाया जा सकता है। गढडे को पौलीथिन शीट से ढक देना चाहिए जिससे उसमें पानी एकत्र हो सके। लगभग 7-8 कि.ग्रा. उपजाऊ मिट्टी समान रूप से शीट पर फैला देनी चाहिये। इसके उपरान्त 30 ग्राम सुपर फास्फेट 10 लीटर पानी में मिलाकर गढडे में डाल देना चाहिए। उसे पष्चात गढडे को पानी से भर देना चाहिए।
- लगभग 2-2.25 कि.ग्रा. स्वस्थ अजोला गढडे में डालना चाहिये। 2-3 सप्ताह में वातावरण परिस्थितियोे के अनुसार गढडा अजोला से भर जायेगा। अजोला को प्रतिदिन गढडे से निकाल कर खिलाया जा सकता है और धूप में सुखाकर एकत्र भी किया जा सकता है। कुछ मात्रा में अजोला गढडे में ही छोड देना चाहिए जिससे अगली फसल तैयार हो सके। यदि गढडे में से आधाी मात्रा में अजोला निकाला जाये तो षेश आधी मात्रा से गढडा 2 सप्ताह में भर जायेगा।
- लगातार अजोला उत्पादन के लिये गढडे में पानी का स्तर को बनाये रखना जरूरी है। दो सप्ताह में एक बार ताजा पानी गढडे में डालना चाहिये। 6-8 महीने लगातार उत्पादन के पष्चात मिट्टी और पानी को बदल देना चाहिए तथा उसमें ताजा अजोला कल्चर डालना चाहिए। कीड़ों व बीमारी की अवस्था में गढडे की सफाई कर उसमें ताजा कल्चर डालकर अजोला उत्पादन करना चाहिए।
अजोला उत्पादन को प्रभावित करने वाले वातावरण कारक
- तापक्रम: अजोला उत्पादन हेतु उचित तापक्रम 25-300 सेंटीग्रेड है, परन्तु अधिकांष प्रजातियाॅं 15-350 सेेंटीग्रेड के बीच वृद्धि करती हैं। अत्यधिक गर्मी एवं अत्यधिक सर्दी के मौसम में अजोला की वृद्धि कम हो जाती है।
- पानी का पी.ए.: अजोला 4.5-8.0 पी.एच. के वीच वृद्धि करता है। यद्यपि उचित पी.एच. 5.0-7.0 के बीच है। यह क्षारीय पी.एच. में भी उगाया जा सकता है।
- प्रकाषः अजोला को छायादार स्थान पर उगाना उचित होता है। तेज धूप व अधिक तापक्रम से अजोला की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। अतः अजोला का उत्पादन छायादार स्थान जैसे पेड़ों की छाॅव में करना उचित है।
- फास्फोरसः अजोला उत्पादन एवं वृद्धि में फास्फोरस की मुख्य भूमिका है। कुछ फास्फोरस स्रोत जैसे सिंगल सुपर फास्फेट को नियमित अन्तराल पर तालाब के पानी में मिलाने पर अजोला की वृद्धि बहुत अच्छी होती है। 25 पी.पी.एम. फास्फोरस युक्त मिट्टी अजोला की वृद्धि में लाभदायक है।
अजोला उत्पादन की परिसीमायेंः
- विशम मौसम परिस्थितिया जैसे अत्यधिक गर्मी और सर्दी गम्भीर रूप से अजोला उत्पादन एवं वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
- अजोला शुश्कता के प्रति संवेदनशील होता है, अतः तालाब में पानी का उचित स्तर हमेषा बना रहना चाहिये, ताकि अजोला तालाब में स्वतंत्र रूप से तैरता रहे।
- 6-8 माह अजोला उत्पादन के पष्चात तालाब की मिट्टी, पानी बदलकर तथा नया अजोला कल्चर डालकर ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
- छोटे किसान जिनके पास 2-3 देशी गाय है, वे गायों के लिये प्रोटीन और खनिज लवण की पूर्ति अजोला को खिलाकर कर सकते हैं।
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डॉ. रविंद्र कुमार
पी.एच.डी. (पशु पोषण)