सूखे चारे को पौष्टिक बनाने हेतु यूरिया उपचार
हमारे देश में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ दूध की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। संकर गायों की नस्लों में दुग्ध उत्पादन की क्षमता बहुत अधिक है। पर इस क्षमता का पूरा लाभ उठाने के लिए पशुओं को भरपूर अच्छा आहार मिलना बहुत जरुरी है परन्तु देश के अधिकतर पशुओं को उनकी आवष्यकतानुसार पोषण आहार नहीं मिल पाता है। इसका मुख्य कारण है हरे चारे एवं दाने की कमी।
यूरिया उपचार सूखे चारे के पोषक मूल्य में सुधार के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तकनीक है। सूखे चारे का यूरिया द्वारा रासायनिक उपचार अनुसंधान के द्वारा यह पाया गया है कि अगर सूखे चारे को यूरिया के द्वारा उपचारित कर दिया जाता है तो उसकी पौष्टिकता और पाचकता में वृद्धि हो जाती है और पशु उपचारित चारे को बड़े चाव से व अधिक मात्रा में खाते हैं, जिससे उनके शरीर को पौष्टिक तत्व काफी अधिक मात्रा में मिलते हैं। जोकि उनके उत्पादन में वृद्धि करते हैं। चुंकि सूखे चारे में पौष्टिक तत्व लिग्रिन के बीच में फंसे हुए होते हैं इसलिए अमोनीकरण के द्वारा पौष्टिक तत्व लिग्रिन के चंगुल से मुक्त हो जाते हैं और पशु को पौष्टिकता प्रदान करते हैं। चारों का अमोनीकरण करने के लिए यूरिया उपचार की निधि उत्तम पायी गयी है। नमी की उपस्थिति में यूरिया उपचार करने से अमोनिया गैस निकलती है जोकि चारे की कोषिकाओं में उपस्थित लिग्रिन के अनुबंध को ढ़ीलाकर देती है। जिसके कारण कोषिकाओं में उपस्थित पोषक तत्वों का उपयोग हो जाता है। साथ ही अमोनीकरण के कारण चारे में नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ जाती है। इस प्रकार चारे की पौष्टिकता अमोनीकरण के द्वारा काफी अधिक बढ़ जाती है।
अमोनीकरण द्वारा उपचारित चारे नरम, स्वादिष्ट, सुगंधित एवं प्रोटीनयुक्त हो जाते हैं। इस चारे के खाने से पशु के पेट के अंदर उपस्थित असंख्य जीवाणुओं को पोषक तत्व काफी अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं, जिससे उनकी संख्या में काफी वृद्धि होती है और अंत में ये सूक्ष्म जीवाणु पेट के अगले भाग आंत में जाकर पच जाते हैं और आंत में उनका अवषोषण होता है। जिसके कारण पशुको काफी अधिक पौष्टि क तत्व प्राप्त होता है।
आवश्यक सामग्री – गेहूं का भूसा, यूरिया, साफ पानी, प्लास्टिक की चादर।
उपचार की विधि -इस विधि द्वारा भूसा को उपचारित करने के लिए 4 कि.ग्रा. यूरिया को 40 लीटर पानी में अच्छी प्रकार घोलकर एक क्विंटल भूसे में अच्छी प्रकार छिड़काव करना चाहिए। एक बार में करीब 25 क्विंटल भूसे का उपचार करके इकट्ठा रखना चाहिए। इसके लिये सबसे पहले एक क्वींटल भूसे को 3-4 मीटर की गोलाई की 3-4 इंच मोटी पुती हुई जमीन पर फैलाकर झारा (हजारा) के द्वारा 4 कि.ग्रा. यूरिया को 40 लीटर पानी में अच्छी प्रकार घोलकर छिड़काव करना चाहिए और फिर उसको पैर से दबा देना चाहिए। इसके बाद पुनः इस परत के ऊपर एक क्विंटल भूसे को 3-4 इंच की परत फैलाकर पुनः 4 कि.ग्रा. यूरिया मिला हुआ 40 लीटर पानी भूसे के ऊपर अच्छी प्रकार छिड़काव करना चाहिए और उसके अच्छे से पैर से दबाना चाहिए। इस प्रकार यह क्रिया 25 बार करके पूरे 25 कि.ग्रा. भूसे को अच्छी प्रकार यूरिया के घोल से गीला कर देना चाहिए।
अंत में पूरे भूसे को प्लास्टिक की बड़ी चादर के द्वारा ढ़ककर चारों तरफ वजनी पत्थर या अन्य किसी सामान द्वारा दबा देना चाहिए। जिससे कि भूसे के अंदर पैदा होने वाली अमोनिया गैस बाहर न निकल सके। इस भूसे की ढेरी को 4 सप्ताह तक पूर्ण रुप से ढककर रखना चाहिए। इतने
समय के अंदर भूसे के अंदर उत्पन्न होने वाली अमोनिक गैस के द्वारा भूसा उपचारित हो जाएगा और पौष्टिक बन जाएगा। चार सप्ताह का समय पूरा होने के बाद उपचारित भूसे को पशु को खिलाने के लिए उपयोग किया जा सकेगा।
डॉ. राजेश कुमार
स्नातकोतर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान
पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर