गायों को कभी भी अतिरिक्त कोलोस्ट्रम न पिलाएं

कोलोस्ट्रम क्या है?

कोलोस्ट्रम, गायों द्वारा बयाने के बाद प्रथम तीन दिन तक दिया जाने वाला पहला दूध है। इसे उपयुक्त रूप से नवजात बछड़ों के लिए सबसे अद्भुत जीवन अमृत के रूप में वर्णित किया जाता है क्योंकि यह शरीर की प्रतिरक्षा, विकास कारकों और प्रतिरक्षा कोशिकाओं का एक स्रोत है। इसमें इम्यूनोग्लोबुलिन के साथ अत्यधिक किण्वित कार्बोहाइड्रेट झ 50हध्स् और झ 100 ग्राम आसानी से पचने योग्य प्रोटीन उपस्थित होती हैं। कोलोस्ट्रम में कैल्शियम भी भरपूर होता है। अनुसंधान से पता चला है कि कोलोस्ट्रम संश्लेषण के लिए आवश्यक कैल्शियम की प्रूर्ति शरीर से होती है और परतु कई बार संबंधित स्रावी हार्मोन के कम प्रभावी होने के कारण आवश्यक कैल्शियम की प्रूर्ति नहीं हो पाती है। ऐसी गायें बीमार पड़ जाती है जिसे आमतौर पर ‘मिल्क फीवर‘ कहा जाता है। मिल्क फीवर को रोकने के लिए पुराने दिनों में यह अभ्यास था कि थनो में कुल कोलोस्ट्रम का एक चैथाई दूध छोड़ा जाता था।

तर्क यह था कि ये बचा हुआ कोलोस्ट्रम रक्त में से कैल्शियम को फिर से अवशोषित कर लेगा। हालांकि मिल्क फीवर को रोकने में इस प्रथा की प्रभावकारिता पूरी तरह से समर्थित नहीं है, कई किसान पूरे कोलोस्ट्रम को निकाल लेते हैं। हालांकि बहुत नहीं है, लेकिन ऐसे किसान भी हैं जो सोचते हैं कि मिल्क फीवर को रोकने के लिए इसे (बछड़ों को पिलाने के बाद) गाय को पिलाया जा सकता है। मेरी नजर में भी ऐसे मामले आये है जहां अन्य बछड़ों को अतिरिक्त कोलोस्ट्रम पिलाया गया था, यह मानते हुए कि यह उन्हें ऊर्जा प्रदान करेगा। यह एक खतरनाक प्रथा है और इसे रोकना चाहिए।

कोलोस्ट्रम और दूध क्यों नहीं पिलाना चाहिएः

इसका कारण यह है कि वयस्क गायों में अच्छी तरह से विकसित रुमन होता है जहां जिवाणुओं द्वारा पाचन अवायवीय किण्वन के माध्यम से होता है। जब यह वयस्क गायों को पिलाया जाता है तो यह किण्वन द्वारा पचाया जाता है जिससे गैस और गंभीर एसिडोसिस का उत्पादन होता है। कुछ मामलों में एसिडोसिस गंभीर रूप से मौत का कारण बन सकता है। गायों को कोलोस्ट्रम पिलाने से गाय में सुस्ती, चक्कर और एनोरेक्सिक जेसे लक्षण दिखाई देते हैं।

कोलोस्ट्रम का उपचार

कोलोस्ट्रम या दूध पिलाने से गायों में बनने वाले एसिड के किण्वन और अवशोषण को रोकने के लिए तुरंत इलाज किया जाना चाहिए। सबसे पहले गाय को दस्तकारी मैग्नीशियम सल्फेट (250 से 350 ग्राम) और रूमेन बफर्स (30-40 ग्राम) देना चाहिए। यदि गाय चक्कर खा रही है और सुस्त है तो पशु चिकित्सक से सलाह ली जानी चाहिए जो रक्त में तरल पदार्थ लगाने का काम करेगा। रुमन में अम्ल जिवाणुओं को नष्ट कर देते हैं इसलिए सबसे अच्छा उपाय कुड फीडिंग (इसे अन्य स्वस्थ गायों से प्राप्त करें) से रुमन फ्लोरा को बदलना है।


डाॅ. राजेश कुमार

स्नातकोतर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान
पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर