गरीब ने बेटी की शादी के लिए बेची गाय, तस्करी में भेज दिया जेल
सुकेश घोष, गरीब परिवार का मुखिया, सुकेश अपनी बेटी की शादी के लिए दो गाय बेचते हैं और उन्हें पुलिस गौ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज देती है. सवाल पूछने पर कहती है कि सलाखों के पीछे न भेजते तो दंगा हो सकता था. ये कहानी है झारखंड के साहेबगंज की. सुकेश घोष ने पश्चिम बंगाल से आए कुछ व्यापारियों को अपनी दो गाय बेची. गांव के ही एक और शख्स ने अपनी गायल बेची. जब व्यापारी गाय लेकर जा रहे थे तो गांव के ही कुछ लोगों ने गाय तस्करी की शिकायत की. पुलिस ने मौके पर सुकेश घोष को बुलाया, गाय की शिनाख्त करवाई उसे गिरफ्तार कर लिया.
सुकेश के भाई भोला घोष पूछते हैं-देश में गरीब के लिए कोई न्याय है या नहीं? गरीब क्या करके खाएगा. दो महीने से लॉकडाउन है, जो बाहर से आए हैं उनके पास पैसा नहीं है. इस मामले में जब क्विंट ने इलाके के डीएसपी कृष्णा महतो से बात की उनके बयान बड़े उलझाऊ थे. पहले उन्होंने कहा कि सुकेश को मौके से पकड़ा गया. जब क्विंट ने उन्हें बताया कि एफआईआर में तो दर्ज है कि उन्हें गायों की शिनाख्त के लिए बुलाया गया फिर गिरफ्तारी हुई तो उन्होंने कहा – FIR देख कर बताऊंगा. एक और दलील उन्होंने दी जिससे सवाल उठता है कि क्या इलाके में शांति व्यवस्था कायम रखने का सारा भार एक गरीब पर आ गया है?
दरअस्ल झारखंड गोवंश पशु हत्या प्रतिबंध अधिनियम, 2005 के मुताबिक वध के लिए गोवंश की खरीद-बिक्री पर रोक है. लेकिन वकील बताते हैं इसके बावजूद सुकेश की गिरफ्तारी गलत है. साहेबगंज के ही वकील लालू प्रसाद साहा कहते हैं – ” मेरी नजर में अपराध नहीं बनता था, उनपर कोई FIR नहीं होनी चाहिए थी. जिन्होंने खरीदा उनपर भी FIR होनी चाहिए? नहीं, खरीद बिक्री अपराध कहां है?”
आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की अध्यक्ष दयामनी बारला कहती हैं- झारखंड में कई घटनाएं घटी हैं. विशेषकर जब ये कानून आया, उसके बाद से ये घटनाएं शुरू हुईं. किसी किसान ने बाजार में बेचा और किसान ही बाजार से खरीदकर लेकर जा रहा है और रास्ते में उनकी धकपकड़ हुई. कई लोग जेल भी गए. कई बाजार बंद हो गए हैं. अभी तो किसान खेती के लिए, हल चलाने के लिए भी खरीद नहीं पाते हैं, क्योंकि उनको डर लगा रहता है.
सवाल ये है सरकार बदलने के बाद भी क्यों नहीं बदला झारखंड के किसानों का नसीब? गांवों में लाखों किसान हैं, पशुपालक हैं उनके पास कोई शेयर नहीं, कोई एफडी नहीं उनकी जमापूंजी पशुधन ही है. जिस मवेशी से वो दूध पाते हैं, जिससे अपनी खेत जोतते हैं, मुसीबत के समय इन्हीं को बेचकर अपना काम चलाते हैं. ऐसे में ये कानूनी शिकंजा और फिर बिना ये परखे कि कौन तस्कर और कौन नही, गिरफ्तारियां तक उचित हैं?
Source: The video blog is extracted from The Quint, June 23, 2020.